कोरोनावायरस / अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से अंतरिक्ष यात्रियों ने कहा- पृथ्वी हमेशा की तरह शानदार दिख रही; पर नीचे जो हो रहा, उस पर यकीन करना मुश्किल
कोरोनावायरस / अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से अंतरिक्ष यात्रियों ने कहा- पृथ्वी हमेशा की तरह शानदार दिख रही; पर नीचे जो हो रहा, उस पर यकीन करना मुश्किल
- अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से अगले शुक्रवार को धरती पर लौटेंगे तीन अंतरिक्ष यात्री
- एस्ट्रोनॉट्स ने कहा- हम स्पेस स्टेशन से ज्यादा पृथ्वी पर खुद को आईसोलेट महसूस करेंगे
वाशिंगटन. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के अंतरिक्ष यात्रियों ने कहा है कि पृथ्वी हमेशा की तरह शानदार दिख रही है, पर अभी वहां से जो खबरें आ रही हैं, उन पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। आईएसएस पर तीन अंतरिक्ष यात्री लगभग एक साल से हैं, ये सभी 17 अप्रैल को पृथ्वी पर लौटेंगे। अमेरिका के एंड्रयू मार्गन, जेसिका मीर और रूस के ओलेग स्क्रिपोचका आईएसएस पर हैं।
एंड्रयू मॉर्गन ने आईएसएस से ही हुई एक कांफ्रेंस में बताया कि आईएसएस के क्रू को कोरोनोवायरस महामारी के संबंध में कुछ जानकारी है, लेकिन अभी वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर वास्तव में चल क्या रहा है। अगले शुक्रवार को उनका नौ महीने का मिशन समाप्त होगा। आर्मी में इमरजेंसी फिजीशियन रह चुके मोर्गन ने बताया कि वह इस मेडिकल क्राइसिस में अपनी वापसी को लेकर वह खुद को दोषी भी महसूस कर रहे हैं। पर वे अभी भी पूरी तरह से स्थिति को समझ नहीं पा रहे हैं।
दोस्तों और परिवार को गले नहीं लगा सकूंगी- जेसिका मीर
पिछले साल ऑल फीमेल वॉक में हिस्सा लेकर इतिहास बनाने वाली अंतरिक्षयात्री जेसिका मीर ने कहा- बहुत मुश्किल होगा जब मैं सात महीने बाद लौटूंगी। तब मैं परिवार और दोस्तों को गले नहीं लगा सकूंगी। अंतरिक्ष से ज्यादा मैं पृथ्वी पर आईसोलेट महसूस करूंगी। हम पृथ्वी पर आकर ही देखेंगे कि कैसे एडजस्ट करते हैं। लेकिन फिर भी अपनी फैमिली और दोस्तों को देखना ही बहुत शानदार होगा। कम से कम कुछ दूर से देखकर बात तो कर सकेंगे।
एंड्रयू मॉर्गन और जेसिका मीर रूस के अंतरिक्षयात्री ओलेग इवानोविच स्क्रिपोचका के साथ सोयुज कैप्सूल से कजाकिस्तान में लैंड करेंगे। इसके बाद आईएसएस पर तीन अंतरिक्षयात्री बचेंगे जो हाल ही में गए हैं। ये तीनों अंतरिक्ष यात्री जिस तारीख को पृथ्वी पर अएंगे उसी दिन अपोलो-13 मिशन के 50 साल पूरे हो जाएंगे। 13 अप्रैल 1970 को मिशन मून के दौरान ओपोलो सर्विस मॉड्यूल का ऑक्सीजन टैंक फट गया था। नासा ने एक रेस्क्यू मिशन बनाकर अपने चालक दल को सुरक्षित बचा लिया था।

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